Heeramandi Success Party : संजय लीला भंसाली द्वारा बनाई गई हीरा मंडी जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी इस सीरीज ने बहुत अच्छी व्यूअरशिप बटोरी है और एक बड़ी हिट साबित हुई है जिस वजह से सीरीज के सभी कलाकारों ने मिलकर पार्टी करी है
Contents :
1. Heeramandi Success Party
2. Heeramandi Budget
3. Heeramandi : Real Story
सीरीज की सक्सेस पार्टी में सभी सितारे शामिल हुए डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के साथ सोशल मीडिया पर भी हीरा मंडी के बहुत चर्चे हैं और हर प्लेटफार्म पर उनकी खबरें ट्रेडिंग में चल रही है
1. Heeramandi Success Party
हीरा मंडी की सक्सेस पार्टी में सीरीज के सारे कलाकार शामिल हुए मनीषा कोइराला पीले सूट में दिखी साथ में शेखर सुमन और सोनाक्षी सिन्हा भी जो ब्लैक सूट में थी पार्टी में और भी कलाकार शामिल थे जैसे कि अदिति रओ हैदरी और फिरोज खान के बेटे फरदीन खानऔर उनके साथ में ऋचा चड्ढा भी दिखाई जो पिंक सूट में आ रखी थी ।
2. Heeramandi Budget
यह सीरीज बनाने के लिए बहुत ज्यादा खर्चा आया है जो कि सिर्फ आभूषणों में कपड़ों में और सेट लगाने में नहीं बल्कि डायरेक्टर की फीस और कलाकारों की फीस में ज्यादा पैसा लगा है , संजय लीला भंसाली ने यह सीरीज बनाने के लिए 60 से 70 करोड रुपए की फीस ली है और हीरा मंडी का पूरा बजट 200 करोड़ का था ।
सोनाक्षी सिन्हा ने इसमें काम करने के लिए 2 करोड़ लिए हैं और वह इस सीरीज की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस बनी , मनीषा कोइराला ने मल्लिका जान का कदन करने के लिए एक करोड़ की फीस ली इसी के साथ अदिति राव हैदरी ने एक से डेढ़ करोड़ की फीस ली और उन्होंने बिबोजान यानी की मलिका जानकी बड़ी बेटी का रोल निभाया , रिचा चड्ढा ने लाजवंती या लज्जू का किरदार निभाया और इसके लिए उन्होंने एक करोड़ की फीस ली , संजीदा शेख ने रिहाना का किरदार निभाया और इसके लिए उन्होंने 40 लख रुपए की फीस ली , शरमीन सहगल जो की मलिका जान की छोटी बेटी बनी थी उन्होंने 30 लाख की फीस ली और फरदीन खान जिन्होंने नवाब बाली बिन जेड अल मोहम्मद का किरदार निभाया उन्होंने 75 लाख की फीस ली ।
3. Heeramandi : Real Story
असल में हीरा मंडी लाहौर का एक शहर था जहां पर नृत्य कला और बहुत सारा व्यापार होता था यह शहर मुगल काल से लेकर महाराजा रणजीत सिंह के राज्य तक भी चला रहा महाराजा रणजीत सिंह के मंत्री हुए हीरा सिंह ने इसका नाम हीरामंडी रखा था उससे पहले मुगल काल में इसे शाही मोहल्ला कहा जाता था शाही मोहल्ले में बहुत से राजा और उनके मंत्री आया जाया करते थे शाही मोहल्ले में अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से लड़कियां यहाँ मुजरा , कत्थक , तुम्हारी और गजल सीखने आती थी और बाद में यही तवायफ बनके रहती थी लेकिन ब्रिटिश काल के आते-आते अंग्रेजी हुकूमत ने वैश्य और तवायफ में कोई फर्क ना समझा और यहां की सारी तवायफ को भी वेश्याओं के साथ रहने पर मजबूर कर दिया और धीरे-धीरे इस शहर का पतन हो गया ।
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