पुरी में रथयात्रा के दौरान हुए भगदड़ हादसे को लेकर उड़ीसा सरकार की ओर से बड़ा फैसला सामने आया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने न सिर्फ जनता से माफी मांगी, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर कड़ी कार्रवाई करते हुए पुरी जिले के कलेक्टर और एसपी का तबादला कर दिया। इसके साथ ही दो शीर्ष पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
यह फैसला उस दर्दनाक हादसे के बाद लिया गया है जिसमें रथ यात्रा के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई थी और भगदड़ मच गई थी। इस भगदड़ में कई लोग घायल हुए और अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। इस घटना के बाद प्रशासन की भूमिका और सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर कई सवाल उठे थे।
मुख्यमंत्री मोहन मांझी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “इस घटना से मैं बेहद दुखी हूं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस पर्व को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाना चाहिए था, वह एक त्रासदी में बदल गया। मैं इस दुर्घटना के लिए जनता से क्षमा मांगता हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है और इसी कारण त्वरित कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी बताया कि सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।
सरकार की ओर से लिए गए फैसलों में सबसे अहम था पुरी के कलेक्टर और एसपी को उनके पदों से हटाना। यह कदम उन अधिकारियों के प्रति जवाबदेही तय करने की दिशा में उठाया गया है, जिनके कंधों पर पूरे आयोजन की सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी थी।
इसके अलावा, दो अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन पर रथयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरतने के आरोप हैं। निलंबन के साथ-साथ उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री मांझी ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ऐसे आयोजनों में सुरक्षा मानकों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में किसी भी बड़े धार्मिक या सार्वजनिक कार्यक्रम की तैयारी अत्यंत सतर्कता और समर्पण के साथ की जाए।
राज्य सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि हादसे में घायल हुए लोगों का इलाज पूरी तरह मुफ्त होगा और उन्हें सभी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। साथ ही, पीड़ित परिवारों की मदद के लिए राहत राशि का भी एलान किया गया है।
रथयात्रा उड़ीसा की सबसे बड़ी और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक परंपरा है, जिसे देखने के लिए देश–विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल पुरी आते हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। प्रशासन के लिए यह एक गंभीर चेतावनी भी है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए हर स्तर पर व्यापक तैयारी जरूरी है।
घटना के बाद राजनीतिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इतनी बड़ी भीड़ जुटने के बावजूद पर्याप्त इंतज़ाम क्यों नहीं किए गए? राज्य सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कई नेताओं ने स्वतंत्र जांच की मांग की।